धाराजी तीर्थ, बागली देवा:
नर्मदा नदी के किनारे स्थित यह तीर्थस्थल न केवल धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक खूबसूरत पर्यटन स्थल
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Situated on the banks of river Narmada, this pilgrimage site is not only a holy place for religious devotees but also a beautiful tourist destination for nature lovers. |
धाराजी तीर्थ: एक पवित्र स्थल की यात्रा
मध्य प्रदेश के देवास जिले के बागली तहसील में स्थित धाराजी तीर्थ एक प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। नर्मदा नदी के किनारे स्थित यह तीर्थस्थल न केवल धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। धाराजी का प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्ता दोनों ही इसे विशिष्ट बनाते हैं।
धाराजी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
धाराजी का धार्मिक महत्व जैन धर्म और हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर भगवान पार्श्वनाथ की 24 फुट ऊंची प्रतिमा स्थित है, जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष श्रद्धा का स्थान है। भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर हैं और इस प्रतिमा के कारण यहाँ वर्ष भर जैन श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा, यहाँ हर वर्ष विशाल मेला भी आयोजित किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आकर भगवान पार्श्वनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं और इस धार्मिक स्थल की पवित्रता का अनुभव करते हैं।
धाराजी में नर्मदा नदी का बहाव एक अद्वितीय प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करता है, जो इसे धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ एक प्राकृतिक सुकून प्रदान करने वाला स्थल बनाता है। यहाँ का वातावरण अत्यंत शांति प्रदान करने वाला है और लोग अपने जीवन के तनाव से दूर कुछ पल शांति के साथ बिताने के लिए यहाँ आते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और नर्मदा नदी का अद्भुत संगम
धाराजी का प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक अद्वितीय तीर्थस्थल बनाता है। यह स्थान घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जहाँ नर्मदा नदी का शांत बहाव और उसके तटों का हरा-भरा दृश्य मनमोहक लगता है। यह स्थल नर्मदा नदी के किनारे स्थित है, जो इसे और भी पवित्र बनाता है। नर्मदा नदी को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और इसके किनारे पर स्नान करना और पूजा करना धर्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्य माना जाता है। धाराजी में नर्मदा नदी का एक विशेष महत्व है, जहाँ श्रद्धालु स्नान कर अपने पापों का निवारण करने का विश्वास रखते हैं।
धाराजी का स्थान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यटन के लिए भी उपयुक्त है। यहाँ की प्राकृतिक छटा और सुरम्य वातावरण पर्यटकों को शांति का अहसास कराता है। कई पर्यटक यहाँ ट्रैकिंग, फोटोग्राफी और प्रकृति के संग बिताने के लिए आते हैं।
धाराजी का धार्मिक आयोजन और मेले का आकर्षण
धाराजी में हर वर्ष धार्मिक आयोजन और मेलों का आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इनमें प्रमुख रूप से मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विशेष धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। इस दौरान यहाँ का वातावरण अत्यंत आध्यात्मिक होता है और श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष स्नान का महत्व है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु स्नान के लिए यहाँ आते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें श्रद्धालु रात्रि भर भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर यहाँ दीपदान और भजन संध्या का आयोजन होता है, जो अत्यंत आकर्षक होता है।
धाराजी के मेले में विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जो इस तीर्थ को एक विशेष पहचान दिलाते हैं। इस मेले में स्थानीय और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता है और विभिन्न हस्तशिल्प वस्त्रों की खरीदारी की जा सकती है।
धाराजी की यात्रा और सुविधाएं
धाराजी पहुँचने के लिए सड़क मार्ग का उपयोग किया जा सकता है। देवास और बागली से यहाँ के लिए बस और निजी वाहनों की सुविधा उपलब्ध है। देवास से धाराजी की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है, जो 2 घंटे के सफर में तय की जा सकती है। धाराजी में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधा भी उपलब्ध है। यहाँ धर्मशालाएँ और होटल्स में रहने की व्यवस्था की गई है, जहाँ श्रद्धालु आराम से ठहर सकते हैं। इसके अलावा यहाँ भोजनालयों में स्थानीय व्यंजनों का आनंद भी लिया जा सकता है।
धाराजी की यात्रा के दौरान यहाँ के स्थानीय लोगों की सरलता और आतिथ्य भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहाँ के लोग पर्यटकों का स्वागत पूरे मन से करते हैं और उन्हें धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण
धाराजी तीर्थ में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। स्थानीय प्रशासन और धार्मिक संगठनों द्वारा पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से सफाई अभियान चलाए जाते हैं। साथ ही, यहाँ प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है ताकि नर्मदा नदी और इसके तटीय क्षेत्र को प्रदूषण से बचाया जा सके। श्रद्धालुओं और पर्यटकों को यहाँ पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है और उन्हें प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
निष्कर्ष:
धाराजी तीर्थ एक ऐसा स्थल है जहाँ धार्मिक आस्था, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर का अनोखा संगम देखने को मिलता है। यह स्थल न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र स्थान है, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक आध्यात्मिक और शांतिपूर्ण स्थल है। नर्मदा नदी के किनारे बसा यह स्थान हर किसी के मन को मोह लेता है और लोगों को शांति और सुकून प्रदान करता है। धाराजी तीर्थ की यात्रा करने से न केवल धार्मिक अनुभव मिलता है, बल्कि प्रकृति की गोद में कुछ पल बिताने का भी आनंद मिलता है।
वर्ष 2024 में, धाराजी तीर्थ को लेकर प्रशासन ने कई योजनाएँ बनाई हैं, जिसमें पर्यटकों की सुविधाओं को और अधिक बेहतर बनाया जाएगा। उम्मीद है कि भविष्य में यह स्थल और भी अधिक लोकप्रिय होगा और यहाँ आने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होगी।