सांची स्तूप
सांची कई स्तूपों का स्थल है जो एक पहाड़ी चोटी पर बनाए गए थे या स्थान बौद्ध धर्म से संबंधित थे लेकिन सीधे बौद्ध के जीवन से नहीं यह अशोक से अधिक बौद्ध से संबंधित है अशोक ने पहले स्तूप बनवाया और यहां कहीं स्तंभ बनवाई।
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Sanchi Stupa is a historical and attractive Buddhist site of India- |
सांची का महान स्तूप भारत की सबसे पुरानी पत्थर की संरचना में से एक है और भारतीय वास्तु कला का सबसे महत्वपूर्ण स्मारक है इसे मूल रूप से मौर्य सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था इसका केंद्र बौद्ध अवशेषों पर बनी एक साधारण अर्ध गोलाकार ईटों की संरचना थी इसे छत्र द्वारा ताज पहनाया गया था जो उच्च पद का प्रतीक एक छत्र जैसी संरचना थी जिसका उद्देश्य अवशेषों को सम्मान वआश्रय देना था इस स्तूप के मूल निर्माण कार्य की देखरेख अशोक ने की थी जिनकी पत्नी देवी पास के विदिशा के एक व्यापारी की बेटी थी सांची उसका जन्म स्थान होने के साथ-साथ उनके और अशोक के विवाह का स्थल भी था पहली शताब्दी ईसा पूर्व में चार विकसित नक्काशी दारऔर पूरी संरचना को घेरे जाने वाला एक कटघरा जोड़ा गया।
सांची कई स्तूपो वाले क्षेत्र का केंद्र है जो सांची से कुछ ही मिल की दूर भी पर है जिम सतधारा सांची के पश्चिम में 9 किलोमीटर 40 स्तूप सरिपुत्र और महा मोगलाना के अवशेष जो अब नए विहार में स्थापित है।
सांची स्तूप भारत का ऐतिहासिक और आकर्षक बौद्ध स्थल है-
1. सांची स्तूप भारत की सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक है।
2. इसका निर्माण सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था।
3. यह स्तूप वैदिक काल के दफन टिलों में बना है जिन में अवशेष और रख रखी जाती थी।
4. सांची स्तूप का व्यास 36.5 मी और ऊंचाई लगभग 21. 64 मीटर है ।
5. सांची स्तूप को 1989 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
सांची स्तूप से जुड़ी कुछ और बातें
1. सांची स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक की पत्नी रानी देवी और उनकी बेटी की देखरेख में करवाया गया था।
2. सांची स्तूप को बौद्ध धर्म से जोड़कर देखा जाता है ।
3. सांची स्तूप के तोरण प्रारंभिक शास्त्री कला के बेहतरीन नमूने हैं।
4. सांची स्तूप के तोरण पर बुद्ध या अशोक के जीवन के दृश्य उतारे गए हैं।
5. सांची स्तूप को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं।
सांची स्तूप का इतिहास
सांची स्तूप का इतिहास
कई विद्वानों का मानना है कि इस विशाल स्तूप को दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व मैं शुंग वंश के राजा पुष्यमित्र शुंग किंग ने नष्ट कर दिया था और कहां जाता है कि उनकी बेटी अग्निमित्र ने पत्थर की शिलाओ से स्तूप का पुनः निर्माण करवाया था बाद में शुंग वंश के शासनकाल के दौरान स्तूप का आकार बढ़ गया।
सांची का महान स्तूप मूलता सम्राट अशोक तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था बाद में इस सांची के स्तूप को अग्निमित्र शुंग जीणोंद्वार करके और बड़ा और विशाल बना दिया।
स्थान | मध्य प्रदेश में स्थित रायसेन जिले के सांची शहर में एक पहाड़ की चोटी पर |
प्रकार | स्तूप और आसपास की इमारतें |
स्थापत्य शैली | बौद्ध और मौर्य |
जगह | सांची टाउन ,रायसेन जिला, मध्य प्रदेश, भारत |
राजधानी या शहर | सांची, रायसेन जिला |
ऊंचाई | 16.46 मी( 0.54 फिट) महान स्तूप का गुंबद |
व्यास | 36.6 मी |
दूरी | भोपाल से 46 किलोमीटर उत्तर पूर्व में |
विशेषता | बौद्ध परिस्तर महान स्तूप विश्व धरोहरस्थल |
निर्माण | सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी में शुरू किया था |
आधिकारिक नाम | सांची में बौद्ध स्मारक संदर्भ -524 शिलालेख -1989 |
1. सांची स्तूप भारत की सबसे पुरानी पत्थरों की संरचनाओं में से एक है
2. सांची स्तूप बौद्ध धर्म के दर्शन का प्रसार और संरक्षण करने के लिए बनाया गया था
3. सांची में तीन स्तूप है सांची स्तूप -1 स्तूप -2 और स्तूप -3
4. माना जाता है कि स्तूप -1में बुद्ध के अवशेष है
5. सांची स्तूपों को ₹200 के भारतीय बैंक नोटों के पृष्ठ पर रूपांकिता किया गया है